आपको बतादें साउथ दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में काफी चर्चित रहे “बाबा का ढाबा” चलाने वाले बाबा ने नींद की गोलियां खा लीं, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई है।
नई दिल्ली. साउथ दिल्ली के मालवीय नगर इलाके में काफी चर्चित रहे “बाबा का ढाबा” चलाने वाले बाबा कांता प्रसाद ने नींद की गोलियां खा लीं, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक बताया जा रहा है कि बीते गुरुवार की देर रात उन्होंने नींद की गोलियां खाईं। जिसके बाद बेहद गंभीर हालत में सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस ने आत्म हत्या के प्रयास की आशंका जताई है।
इसी के साथ मामले की जांच चल रही है। शुरुआती जांच में आर्थिक तंगी की बात सामने आ रही है। हालांकि पुलिस ने गोलियां खाने की वजह को स्पष्ट रूप से कोई जानकारी साझा नहीं की है।
बता दें कि बाबा का ढाबा एक बार फिर कुछ दिन पहले ही तब सुर्खियों में आया, जब ढाबे के मालिक कांता प्रसाद द्वारा लगाए चोरी के आरोपों का सामना करने वाले यूट्यूबर गौरव वासन ने बुजुर्ग को माफ कर दिया।
उन्होंने एक ट्वीट के जरिए इस बात की जानकारी दी। कहा जा रहा है कि नए कारोबार में नुकसान के बाद ढाबा के मालिक कांता प्रसाद (Kanta Prasad) एक बार फिर ‘सड़क’ पर आ गए. रेस्टोरेंट बंद होने के बाद उन्होंने फिर सड़क किनारे ढाबा शुरू किया है।
अंत भला तो सब भला:
कुछ दिन पहले ही वासन ने मामले में ट्वीट कर लिखा था- ‘अंत भला तो सब भला. गलती करने से बड़ा गलती माफ करने वाला होता है (मेरे मां-बाप ने यही सीख दी है).’ खास बात है कि वह शख्स वासन ही थे, जिन्होंने मुश्किल आर्थिक हालात का सामना कर रहे बुजुर्ग दंपति की सोशल मीडिया के जरिए मदद की थी।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इसके बाद प्रसाद की मदद के लिए कई लोग आगे आए थे. हालांकि कुछ समय बाद कांता प्रसाद ने वासन पर चोरी करने का आरोप लगाया था।
सफदरजंग अस्पताल में भर्ती:
टीवी रिपोर्ट्स के मुताबिक कांता प्रसाद ने शनिवार देर रात आत्महत्या की कोशिश की। उन्होंने नींद की गोलियां खाईं, जिससे उनकी तबीयत बिगड़ गई। रिपोर्ट के मुताबिक, कांता प्रसाद को तुरंत दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है। पुलिस इस मामले की आत्महत्या की कोशिश के नजरिए से जांच कर रही है।
लॉकडाउन में बंद हो गया था नया रेस्टोरेंट:
कांता प्रसाद सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो के जरिए देशभर में चर्चा में आए थे। उनकी मदद के लिए कई लोगों ने मदद का हाथ बढ़ाया था, जिसके बाद उनकी आर्थिक स्थिति काफी बेहतर हो गई थी। कांता प्रसाद ने क्राउड फंडिंग से मिले पैसों से नया रेस्टोरेंट खोला था।
इसमें उन्होंने दो शेफ और एक हेल्पर को नौकरी पर रखा था। लॉकडाउन में रेस्टोरेंट पर ताला लगने के कारण उन्हें काफी नुकसान हुआ था, जिसके बाद उन्होंने इसे बंद कर दिया था। बाबा के बेटे ने बताया था कि रेस्टोरेंट में खर्चे के अनुसार कमाई बेहद कम हो रही थी। रेंट, काम करने वाले लड़कों की तनख्वाह, बिजली और पानी का बिल भरना पड़ता था।
रेस्टोरेंट खोलने में डेढ़ लाख से अधिक पैसे लगे थे। रेस्टोरेंट बंद होने के बाद हमने सारा सामान बेच दिया, जिससे 30 से 40 हजार रुपये मिले। बाबा के बेटे के अनुसार, रेस्टोरेंट में यदि महीने का खर्चा 2 लाख रुपये था तो कमाई सिर्फ 15 हजार रुपये हो रही थी।
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