गंगा का जलस्तर चार लाख क्यूसेक, डेंजर मार्क हुआ पार

उत्तराखंड: उत्तराखंड के ऋषिकेश और हरिद्वार में गंगा नदी खतरे के निशान पर बह रही है, केंद्रीय जल आयोग ने शनिवार को इसकी जानकारी दी। हिमालयी राज्य में तीन दिनों तक लगातार बारिश के बाद गंगा और भागीरथी नदियां खतरे के निशान को पार कर गई हैं। हरिद्वार और ऋषिकेश में गंगा खतरे के निशान को पार कर गई, जबकि टिहरी जिले के देवप्रयाग में भागीरथी ने खतरे के निशान को पार किया।

आपको बतादें जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार से लेकर कानपुर तक हाई अलर्ट जारी कर गेटों को खोला गया। गेट खुलने से गंग नहर से यूपी के लिए सिंचाई को छोड़ा जाने वाला पानी बंद हो गया।

फोटो: अमर उजाला

पहाड़ों में लगातार हो रही भारी बारिश से शनिवार को गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया। वर्ष 2013 की आपदा के बाद पहली बार गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर बहने से तीन लाख 92 हजार 404 क्यूसेक तक पहुंच गया।

इसी के साथ जलस्तर बढ़ने से हरिद्वार से लेकर कानपुर तक हाई अलर्ट जारी कर भीड़गोड़ा बैराज के सभी गेट एक साथ खोल दिए गए। बैराज खुलने से गंगनहर के जरिये उत्तर प्रदेश के लिए सिंचाई को छोड़ा जाने वाला पानी बंद हो गया।

इतना ही नही, उधर, बैराज के पानी के बहाव से चंडी टापू को जोड़ने के लिए महाकुंभ में बनाए गए अस्थायी पुल के एप्रोच में दरारें आ गईं। नमामि गंगे घाट पानी में डूब गए। हालांकि, जानमाल का कोई नुकसान नहीं हुआ है।

पहाड़ों की बारिश का सीधा असर हरिद्वार ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश तक पड़ता है। यहां भीमगोड़ा पर उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग का बैराज है। बैराज की क्षमता 293.00 मीटर जलस्तर रोकने की है, लेकिन पहाड़ों में लगातार बारिश से शुक्रवार रात अलर्ट जारी हो गया था। लिहाजा बैराज में भी सिंचाई विभाग के अधिकारी और कर्मचारी मुस्तैद रहे।

आपको बतादें बैराज के वाटर असिस्टेंट निर्भय भारद्वाज के अनुसार, देर रात दो बजे गंगा का जलस्तर दो लाख 15 हजार 698 क्यूसेक पहुंच गया। इसके चलते कानपुर तक हाई अलर्ट जारी कर बैराज के 22 गेट एक साथ खोले गए।

पूरे दिन उफान पर रही गंगा:

खबर के अनुसार गंगा नदी शनिवार को दिनभर उफान पर रही। ऐसे में उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग से लेकर हरिद्वार जिला प्रशासन के अधिकारियों के हाथ-पैर फूले रहे। बैराज पर डटकर अफसर बाढ़ चौकियों और कंट्रोल रूम से संपर्क करते रहे। बैराज में शुक्रवार रात से पानी बढ़ना शुरू हुआ। शनिवार सुबह नौ बजे 294.40 मीटर जलस्तर के बाद दोपहर दो बजे पानी का स्तर 294.10 मीटर हो गया।

फोटो: MINT MEDIA, मिंट

यूपी सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता विनोद कुमार मिश्रा से लेकर हरिद्वार के एडीएम केके मिश्रा समेत जिला प्रशासन के कई अधिकारी बैराज पर जमे रहे। एसडीआरएफ, जल पुलिस, राजस्व पुलिस और नागरिक पुलिस देर रात तक अलर्ट पर रही।

पुलिस-प्रशासन ने गंगा से लगी आबादी में अनाउंसमेंट कराई। अतिक्रमण कर रहने वालों को सुरक्षित जगहों पर जाने के दिशा-निर्देश दिए गए। एडीएम ने बताया स्थिति पर नजर रखी जा रही है। सभी को अलर्ट रहने के निर्देश दिए गए हैं।

गंगा पार फंसे दो युवकों को सकुशल निकाला:

वहीं के गाय चराने के लिए गंगा पार गए दो युवक रात में जलस्तर बढ़ने से वहीं फंस गए। सूचना पर रात में ही एसडीआरएफ और स्थानीय पुलिस ने रेस्क्यू कर युवकों को सकुशल बाहर निकाला। श्यामपुर थाना क्षेत्र के गांव बाहरपीली निवासी दो युवक हारून और प्रवीण कई ग्रामीणों के साथ शुक्रवार को गाय चराने के लिए गए थे।

शुक्रवार करीब रात नौ बजे के आसपास गंगा का जलस्तर बढ़ने लगा। कई लोग तैरकर वापस आ गए। प्रवीण और हारून वहीं पर फंस गए। वहां से आए लोगों ने इसकी जानकारी परिजनों व पुलिस को दी।

सूचना मिलते ही क्षेत्राधिकारी श्यामपुर विजेंद्र दत्त डोभाल, तहसीलदार आशीष घिडियाल, थानाध्यक्ष श्यामपुर अनिल चौहान, चौकी इंचार्ज चंडीघाट गजेंद्र रावत मय फोर्स के मौके पर पहुंचे और एसडीआरएफ व कंट्रोल रूम को भी स्थिति से अवगत कराया गया। एसडीआरएफ ऋषिकेश की टीम तुरंत मौके पर पहुंची और रेस्क्यू अभियान चलाकर दोनों युवकों को सकुशल बाहर निकाला गया।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार थानाध्यक्ष श्यामपुर अनिल चौहान ने बताया गंगा के किनारे के सभी गांवों में मुनादी करा दी गई कि वह नदी के किनारे न जाएं। गंगा के किनारे झुग्गी झोपड़ी में रहने वालों को वहां से हटने को कह दिया है।

हरकी पैड़ी का जलस्तर गिरा:

भीमगोड़ा बैराज से पानी रोककर यूपी के लिए मांग के अनुसार गंगनहर में छोड़ा जाता है। इस समय गंगनहर में 12 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा था। गंगनहर के पानी से यूपी के कई जिलों में सिंचाई होती है और पावर हाउस संचालित होते हैं।

बैराज बंद होने पर भगीरथ बिंदु से हरकी पैड़ी का जलस्तर तीन से चार फीट तक पहुंचता है, लेकिन शुक्रवार रात बैराज खोलने से गंगनहर का पानी बंद हो गया। हरकी पैड़ी पर भी इसका असर पड़ा और यहां डेढ़ से दो फीट पानी रह गया।

बैराज के कंट्रोल रूम का टेलीफोन भी खराब:

मानसून की बारिश में भीमगोड़ा बैराज अति संवेदनशील है। बैराज से ही पानी को नियंत्रित किया जाता है, लेकिन यहां के कंट्रोल रूम का लैंडलाइन नंबर खराब पड़ा है। लैंडलाइन नंबर को सही कराने की विभाग ने सुध नहीं ली। सारी निर्भरता वायरलेस सिस्टम पर ही है।

नमामि गंगे के घाटों तक पानी पहुंच गया:

वर्ष 2013 में 16 जून को आई भीषण आपदा में पांच लाख बीस हजार क्यूसेक पानी आया था। इसके बाद पहली बार शनिवार को गंगा का जलस्तर तीन लाख 92 हजार 404 क्यूसेक पहुंचा। बैराज खुलते ही गंगा ने रौद्र रूप धारण कर लिया।

बैराज से पानी छूटते ही चंडी टापू को जोड़ने वाले लोहे के अस्थायी पुल के ऊपर से पानी बहने लगा। यह पुल महाकुंभ में बनाया गया था। इस दौरान गंगा में बोल्डर और जड़ समेत पेड़ बहकर आए। कई पेड़ पुल में फंस गए, जिससे पानी के बहाव से पुल की एप्रोच में दरारें आ गईं।

पुल का इस्तेमाल महाकुंभ के दौरान चंडी टापू पर बसाए गए शंकराचार्य नगर आनेजाने और चंडी टापू पर जाने के लिए किया गया था। जलस्तर बढ़ने से चंडी टापू पुल के पास बने नमामि गंगे के घाटों तक पानी पहुंच गया। अधिकतर घाट पानी में डूब गए। घाटों का निर्माण करीब 70 करोड़ रुपये से हुआ है। चंडी टापू पुल के पास ही निर्माणाधीन पुल के पिलरों तक पानी पहुंच गया।

श्मशान घाट पुल टूटा, तीन जेसीबी डूबी, निर्माण सामग्री बही:

गंगा का जलस्तर बढ़ने से खड़खड़ी श्मशान घाट स्थित पुल भी टूट गया। पुल भागीरथी बिंदु से आने वाले धारा के ऊपर बना है। वहीं, चंडी घाट पर निर्माणाधीन पुल की सामग्री बह गई और तीन जेसीबी भी डूब र्गइं। परमार्थ घाट, कनखल और नमामि गंगे घाटों पर लगे आस्था कलश बह गए। खड़खड़ी श्मशान घाट के पास पिछले अर्द्धकुंभ में पुल बनाया गया था।

शुक्रवार रात पानी का बहाव अधिक होने से पुल क्षतिग्रस्त हो गया। इससे आवाजाही बंद करनी पड़ी। बहाव से पुल के गार्डर और चादरें मुड़ गई हैं। वहीं, कनखल-बैरागी कैंप के रास्तों पर घाट का पानी आने से लोगों को आवागमन में परेशानी हुई। सामाजिक कार्यकर्ता सुनील सेठी ने कुंभ बजट से होने वाले निर्माण कार्यों की गुणवत्ता पर सवाल उठाते हुए सीबीआई जांच कराने की मांग की है।

जुड़े रहिये जारी है अपडेट, एक्यूरेट इनफॉर्मर

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