सुई के डर से 10% लोग नहीं लगवा रहे हैं टीका!!
ब्रिटिश कॉमेडियन टोनी हैनकॉक ने कहा था कि आपके शरीर में नसें ही नसें हैं। आपको इन्हें किसी न किसी चीज से भरने की जरूरत है। क्या आपने इसे भरा या नहीं? लेकिन जब कोरोना वायरस फैला और टोनी को वैक्सीन लगावाने का मौका मिला तो उनकी हालत खराब हो गई। वो वैक्सीन की पतली सी सुई से डर गए।
उन्हें लग रहा था कि यह स्टील की सुई उनके बाहों को चीरकर रख देगी। जबकि, उन्हें ये वैक्सीन मुश्किल से एक सेकेंड के लिए चुभती और वैक्सीन शरीर में छोड़कर बाहर निकलने में तीन सेकेंड लगता। लेकिन ये तीन सेकेंड का डर 10 फीसदी लोगों को वैक्सीन लगवाने से रोक रहा है।
सुई के डर को ब्लड-इंजेक्शन-इंजरी फोबिया (Blood-Injection-Injury) Phobia या Needle Phobia कहते हैं. यह एक तरह की बेचैनी से संबंधित मानसिक बीमारी है। हालांकि, ऐसी बीमारियां अक्सर लोगों में होती हैं।
किसी को पानी से, किसी को ऊंचाई से, किसी को छिपकली से, किसी को अंधेरे से डर लगता है। उन्हें ऐसे फोबिया होते हैं। लेकिन इनका इलाज है। अगर सुई नहीं लगवाएंगे तो लोग कोरोना से बचेंगे कैसे?
कुछ लोग सुई लगने का विचार आते ही घबरा जाते हैं. उनका ब्लड प्रेशर कम हो जाता है. कई बार तो लोग बेहोश तक हो जाते हैं. कुछ लोगों का ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। पसीने छूटने लगते हैं। वो ज्यादा एक्टिव हो जाते हैं।
हाथ-पैर टाइट कर लेते हैं। या फिर झटकने लगते हैं। इसे वैसोवैगल रेस्पॉन्स (Vasovagal Response) कहते हैं। इस डर के बावजूद कई लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लगवाई।
यूके यानी इंग्लैंड में हुए एक स्टडी के अनुसार सुई की डर की वजह से वैक्सीन को लेकर सबसे ज्यादा हिचक युवाओं और कुछ अल्पसंख्यक समुदायों में ज्यादा देखा गया है।
ये पता करने के लिए आखिर इसकी वजह से कोरोना संक्रमण को रोकने में दिक्कत आएगी। इसलिए ऐसे लोगों पर स्टडी की गई. सुई की डर की वजह से कोविड-19 वैक्सीन लगवाने की हिचक को लेकर 15,014 लोगों को एक सर्वे में शामिल कराया गया।
OCEANS-III की स्टडी:
आपको बतादें ये स्टडी ऑक्सफोर्ड कोरोनावायरस एक्सप्लेनेशंस, एटीट्यूड एंड नैरेटिव्स सर्वे (OCEANS-III) के तहत की गई। इसके तहत लोगों से पूछा गया कि वैक्सीनेशन का पूरा प्रोसेस आपको कैसा लगा. जैसे- इंजेक्शन लगवाना।
किसी को खून देखते देना, या टीवी पर सर्जरी देखना। उनसे यह भी पूछा गया कि क्या आप कोविड-19 वैक्सीन लगवाने के लिए तैयार हैं। इस स्टडी की रिपोर्ट साइकोलॉजिकल मेडिसिन जर्नल में प्रकाशित हुई है।
इसी के साथ युवाओं और कुछ अल्पसंख्यक समुदायों में सुई का डर यानी Needle Phobia ज्यादा देखा गया. ये लोग वैक्सीन की विश्वसनीयता पर उतना शक नहीं कर रहे थे, जितना कि सुई के चुभने के डर से वैक्सीन से बच रहे थे।
OCEANS-III स्टडी में यह बात खुलकर सामने आई है कि दुनियाभर में अलग-अलग देशों में ऐसे लोग हैं जो सुई की डर की वजह से कोरोना वैक्सीन नहीं लगवा रहे हैं। आखिरकार इस स्थिति से निपटा कैसे जाए?
आपको बतादें चींटी काट ती है केवल उससे भी कम दर्द होता है, घबराइए मत वैक्सीन लगवाकर खुद को व अपने परिवार व देश को सुरक्षित करें और पढ़ते रहिये, एक्यूरेट इनफॉर्मर।